
कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। इसे अशुभ माना जाता है और जीवन में कई समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि आर्थिक कठिनाइयाँ, मानसिक तनाव, करियर में बाधाएँ और पारिवारिक संघर्ष। इस दोष को दूर करने के लिए कालसर्प दोष पूजा की जाती है।
कालसर्प दोष पूजा का महत्व
कालसर्प दोष पूजा को अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि लाने में मदद करती है। इस पूजा का महत्व इस प्रकार है:
- नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है – कालसर्प दोष पूजा करने से जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और व्यक्ति को शांति मिलती है।
- सकारात्मक प्रभाव बढ़ाता है – यह पूजा व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास को बढ़ावा देती है।
- आर्थिक और करियर संबंधी समस्याओं का समाधान – कालसर्प दोष पूजा से आर्थिक समस्याएँ समाप्त होती हैं और करियर में प्रगति के अवसर प्राप्त होते हैं।
- पारिवारिक और वैवाहिक सुख – इस पूजा से दांपत्य जीवन में शांति आती है और परिवार में सौहार्द बना रहता है।
- स्वास्थ्य लाभ – इस पूजा को करने से व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
कालसर्प दोष पूजा करने की प्रक्रिया
कालसर्प दोष पूजा एक विशेष अनुष्ठान है जिसे प्रशिक्षित पुजारी के मार्गदर्शन में करना चाहिए। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:
पूजा की तैयारी
- कालसर्प दोष पूजा के लिए व्यक्ति को उपवास रखना चाहिए।
- स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना आवश्यक है।
- पूजा के लिए नाग देवता की प्रतिमा या चित्र, पंचामृत, फल, पुष्प और अन्य पूजन सामग्री तैयार करें।
पूजा की विधि
- पूजा की शुरुआत गणपति पूजन से होती है।
- इसके बाद नवग्रह पूजन किया जाता है ताकि सभी ग्रहों की कृपा प्राप्त हो।
- फिर कालसर्प योग निवारण के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।
- अभिषेक (दूध, जल और पंचामृत से स्नान) किया जाता है।
- भगवान शिव और नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है।
- कालसर्प दोष निवारण के लिए ‘महामृत्युंजय मंत्र’ और ‘नाग गायत्री मंत्र’ का जाप किया जाता है।
- अंत में दान और भोग अर्पण कर पूजा संपन्न की जाती है।
विशेष स्थल और तिथि
कालसर्प दोष पूजा को करने के लिए उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर (नासिक), और काशी को प्रमुख स्थान माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से नाग पंचमी, श्रावण मास, और अमावस्या के दिन की जाती है।
कालसर्प दोष से संबंधित पौराणिक कथा
कालसर्प दोष का उल्लेख महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, महाराज परीक्षित ने श्राप के कारण तक्षक नाग के डसने से अपने प्राण त्याग दिए थे। यह घटना बताती है कि नाग देवता की पूजा से व्यक्ति अपनी कुंडली के दोषों को दूर कर सकता है।
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण के भाई बलराम पर भी कालसर्प दोष का प्रभाव था, जिसे उन्होंने विशेष पूजा के माध्यम से दूर किया था।
कालसर्प दोष निवारण के लिए मंत्रइस पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जाता है:
- महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
- नाग गायत्री मंत्र: “ॐ नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात्॥”
निष्कर्ष
कालसर्प दोष पूजा एक प्रभावशाली उपाय है जो व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता लाने में सहायक होता है। यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, तो योग्य पंडित की सहायता से उचित समय और स्थान पर यह पूजा कराएं। इससे आपके जीवन की बाधाएँ दूर होंगी और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी।